इस चेहरे पर जीवन भर की कमाई दिखती है
पहले दुःख की एक परत फिर एक परत प्रसन्नता की
सहनशीलता की एक और परत एक परत सुन्दरता
कितनी क़िताबें यहाँ इकट्ठा हैं
दुनिया को बेहतर बनाने का इरादा
और ख़ुशी को बचा लेने की ज़िद |
एक हँसी है जो पछतावे जैसी है,
और मायूसी उम्मीद की तरह |
एक सरलता है जो सिर्फ़ झुकना जानती है,
एक घृणा जो कभी प्रेम का विरोध नहीं करती
आईने की तरह है स्त्री का चेहरा
जिसमें पुरूष अपना चेहरा देखता है,
बाल सँवारता है मुँह बिचकाता है
अपने ताकतवर होने की शर्म छिपाता है
इस चेहरे पर जड़ें उगी हुई हैं
पत्तियाँ और लतरें फैली हुई हैं
दो-चार फूल हैं अचानक आई हुई ख़ुशी के
यहाँ कभी-कभी सूरज जैसी एक लपट दिखती है
और फिर एक बड़ी सी खाली जगह |
तुम्हारा प्रेम मेरी देह में गमकता है। रोम-रोम से आता-जाता-सा लगता है।
कभी-कभी तो पीछा करने लगता हूँ कि ठीक-ठीक कहाँ से बरसता है तुम्हारा प्रेम
तुम्हारी आँखों की चमक से या तुम्हारी गर्म-ठंडी रोटी से,
तुम्हारे खिले हुए होंठों से या तुम्हारी खुली उजली बातों से।
तुम्हारे रंगों भरे पारदर्शी प्रेम में जाग रहा हूँ मैं।
तुम्हारी गहरी उदासी से विकल हूँ।