नींद से जगा तो मगर कुछ सपने आँखों में रह गए थे |
सपने रात में टूटे तो मगर वो मेरी यादों में रह गए थे |
सोचा कि कह दूँ किसी से सपने की बात,
पर कैसे कहता किसी से वो ऐसी बात कह गए थे |
मेरी बातों से आजिज दोस्त मुझे पागल बुलाते हैं |
मेरी हरकत से आजिज लोग मुझे अपने दर से भगाते है |
मेरी दीवानगी इस कदर हो गयी है लेकिन,
हैम लौट के फिर फिर उन्ही के दर पे आते हैं |
मुकम्मिल जिंदगी कैसे करूँ मैं यार बिन तेरे ,
यहाँ एक रात तो कटती नहीं तेरे सपने के बिना |
सपने रात में टूटे तो मगर वो मेरी यादों में रह गए थे |
सोचा कि कह दूँ किसी से सपने की बात,
पर कैसे कहता किसी से वो ऐसी बात कह गए थे |
मेरी बातों से आजिज दोस्त मुझे पागल बुलाते हैं |
मेरी हरकत से आजिज लोग मुझे अपने दर से भगाते है |
मेरी दीवानगी इस कदर हो गयी है लेकिन,
हैम लौट के फिर फिर उन्ही के दर पे आते हैं |
मुकम्मिल जिंदगी कैसे करूँ मैं यार बिन तेरे ,
यहाँ एक रात तो कटती नहीं तेरे सपने के बिना |
No comments:
Post a Comment