14 March 2014

नज़रों में प्यास

छलकता रहा उनके अधरो पर एक प्यार का सागर !
नज़रों में प्यास भर के हम बस उन्हे देखते रहे !!

तड़पता रहा दिल कोई फ़रियाद लिए मासूम सी !
एक आचमन को बस लब मेरे तरसते ही रहे !!

खिलके बिखरती रही चाँदनी सब तरफ़ फिजा में !
हम नजरों में उनकी प्यार की किरण को तक़ते रहे !!

बूँदे स्वाती की सीपी में जाके मोती बनी !
हम भी उनसे ऐसे मिलन को तरसते रहे !!

जलाते रहे दिल में प्यार की रोशनी !
अपने तक़दीर के अंधेरो से यूँ लड़ते रहे !!

कई ख़वाब सजते रहे इन बंद पलको में मेरी !
हम हर ख्वाब में उनसे मिलने को भटकते रहे !!

छलकता रहा उनके अधरो पर एक प्यार का सागर !
और हम बस एक आचमन को तरसते ही रहे !!


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