08 April 2014

मेरे घर में एक ही सुख है कि यहाँ

मेरे अपने दुख ने मुझे संसार भर का दुख दिया
इसके लिए उसने मुझे दिया भरा-पूरा मेरा संसार भी,

मेरा दुख कभी बौना न था
बचपन में ही उसने मुझे चंदा-मामा दिया, कभी टूटने वाला खिलौना नहीं दिया,
माँ के दुख ने मुझे इंसान बनाया पिता के दुख ने शैतान होने से रोका
पत्नी के दुख ने पैदा की मेरे भीतर एक बड़ी स्त्री
बदल दिया सुख का मापदण्ड, दुख ने मुझे कुछ भी कम नहीं दिया

बाज़ार जा रही एक लड़की की ऑंखों की चमक ने
उड़ेल दिया मुझ पर पूरे बाज़ार का दुःख,

एक हिन्दू के दुख ने खड़ा कर दिया मुझे मंदिर के मेले में अकेला,
मेरे खेतो में कभी पानी नहीं रुका, चारों ओर उपजे दुख ने
नहीं उठाने दी मुझे अपनी मेड़,

मेरे घर में एक ही सुख है कि यहाँ सबका दुख एक है
दुख ने घर में एक ही थाली दी और उस थाली पर
एक साथ बैठा कर मुझे दिये अनेक भाई ।

आओ स्वागत है मेरे ह्रदय के द्वार

ये कैसी अनजानी सी आहट आई है ; मेरे आसपास ...
ये कौन नितांत अजनबी आया है मेरे द्वारे ...मुझसे मिलने,
मेरे जीवन की , इस सूनी संध्या में ; ये कौन आया है ….

अरे ..तुम हो मित्र ; मैं तो तुम्हे भूल ही गया था, जीवन की आपाधापी में 
आओ प्रिय , आओ..मेरे ह्रदय के द्वार पधारो, मेरी मृत्यु... आओ स्वागत है तुम्हारा 

लेकिन ; मैं तुम्हे बताना चाहूँगा कि, मैंने कभी प्रतीक्षा नहीं की तुम्हारी ;
न ही कभी तुम्हे देखना चाहा है !

लेकिन सच तो ये है कि , तुम्हारे आलिंगन से मधुर कुछ नहीं
तुम्हारे आगोश के जेरे-साया ही ; ये ज़िन्दगी तमाम होती है 

मैं तुम्हारा शुक्रगुजार हूँ , कि ; तुम मुझे बंधन मुक्त करने चले आये ;
यहाँ …. कौन अपना ,कौन पराया , इन्ही सच्चे-झूठे रिश्तो , की भीड़ में,
मैं हमेशा अपनी परछाई खोजता था !

साँसे कब जीवन निभाने में बीत गयी, पता ही न चला ;
अब तुम सामने हो;तो लगता है कि, मैंने तो जीवन को जाना ही नहीं…..

पर हाँ , मैं शायद खुश हूँ , कि; मैंने अपने जीवन में सबको स्थान दिया !
सारे नाते ,रिश्ते, दोस्ती, प्रेम….सब कुछ निभाया मैंने …..
यहाँ तक कि ; कभी कभी ईश्वर को भी पूजा मैंने ;
पर तुम ही बताओ मित्र , क्या उन सबने भी मुझे स्थान दिया है

पर , अब सब कुछ भूल जाओ प्रिये, आओ मुझे गले लगाओ ;
मैं शांत होना चाहता हूँ ! ज़िन्दगी ने थका दिया है मुझे;
तुम्हारी गोद में अंतिम विश्राम तो कर लूं !

तुम तो सब से ही प्रेम करते हो, मुझसे भी कर लो ;
हाँ……मेरी मृत्यु मेरा आलिंगन कर लो !

बस एक बार तुझसे मिल जाऊं ... फिर मैं भी इतिहास के पन्नो में ;
नाम और तारीख बन जाऊँगा !! फिर ज़माना , अक्सर कहा करेंगा कि
वो भला आदमी था , पर उसे जीना नहीं आया .....

कितने ही स्वपन अधूरे से रह गए है ;
कितने ही शब्दों को , मैंने कविता का रूप नहीं दिया है ;
कितने ही चित्रों में , मैंने रंग भरे ही नहीं ;
कितने ही दृश्य है , जिन्हें मैंने देखा ही नहीं ;
सच तो ये है कि , अब लग रहा है कि मैंने जीवन जिया ही नहीं

पर स्वप्न कभी भी तो पूरे नहीं हो पाते है
हाँ एक स्वपन , जो मैंने ज़िन्दगी भर जिया है ;
इंसानियत का ख्वाब ; उसे मैं छोडे जा रहा हूँ ...

मैं अपना वो स्वप्न इस धरा को देता हूँ......

!! Kaash Tune Mujhe Itna Chaha Na Hota !!


Kaash Tune Mujhe Jo Itna Na Chaaha Hota,
To Maine Badi Asaani Se Tujhe Bhulaya Hota,
Tere Seene Mein Dil Ki Jagha Dhadkti Hun,
Kaash Tune Na Mujhe Seene Mein Basaya Hota,
Zindagi Aur Bhi Haseen Ho Sakti Thi Teri,
Kaash Tune Na Mujhe Humsafar Banaya Hota,

Teri Chaahat Hi Meri Jeene Ki Wajah Hai,
Kaash Bewafa Ho Mujhe Mout Se Milaya Hota,
Kaash Ye Na Ho, Wo Na Ho Yun Hi Zindagi Guzri,
Kaash Khuda Ne Ye Kaash Hi Na Banaya Hota.




01 April 2014

Everyday Habits that are Damaging your Back

Everyday habits that are damaging your back
 
 
 
 
 
 
 
 
Your Smartphone
 The head-down position that you use to look at phones, iPads and laptops strains the muscles in the neck and the pain can extend to your lower back. Using them for hours on end means your body will eventually start to adopt this hunched position.
Fix it: Make sure you take frequent screen breaks. Try to look straight ahead and not down at your screen.