मैंने मोहब्बत भी तो तुमसे बेहिसाब की थी
फिर क्या हुआ ग़र तुमने दर्द बेहिसाब दे दिया?
फिर क्या हुआ ग़र तुमने दर्द बेहिसाब दे दिया?
जोर चलता नहीं अब दिल पर मेरा , मेरे दिल पर अब आपकी हुकुमत हो गई
कुछ और नहीं चाहते आपके सिवा , आपकी चाहत हमारी इबादत हो गई
कुछ और नहीं चाहते आपके सिवा , आपकी चाहत हमारी इबादत हो गई
सबकुछ माँग लिया है , तुमको माँग कर
उठे नहीं हैं हाथ मेरे , इस दुआ के बाद
उठे नहीं हैं हाथ मेरे , इस दुआ के बाद
बड़ा मज़ा आता है तुम्हे , हमें सताने में
चलो , हँसी तो आती है तुम्हारे होंठों पर इसी बहाने से
चलो , हँसी तो आती है तुम्हारे होंठों पर इसी बहाने से
दोंनों ही भागीदार हैं बराबर इस जुर्म में
मैंने जब नज़र मिलायी तो मुस्कुराये तुम भी थे
मैंने जब नज़र मिलायी तो मुस्कुराये तुम भी थे
हमने देखा था तुझे शौक-ए-नज़र की खातिर
ये ना मालूम था कि तुम दिल में उतर जाओगे
ये ना मालूम था कि तुम दिल में उतर जाओगे
इतना कीमती तो नहीं था मेरा चैन-ओ-सुकून
लूट कर ले गये तुम जिसे अनमोल खजाने की तरह
लूट कर ले गये तुम जिसे अनमोल खजाने की तरह
मिन्नतें करती हुँ नीन्द से कि आ जाओ , पर नहीं आती
फिर ऐसे ही तेरा ना आना याद आता है
फिर ऐसे ही तेरा ना आना याद आता है
तुम्हारे साथ ही महसूस हुई थी
उसके बाद मैंने कभी जिन्दगी को देखा ही नहीं
उसके बाद मैंने कभी जिन्दगी को देखा ही नहीं
नमक-दान हाथ में लेकर , सितमग़र सोचते हो क्या ?
हज़ारों ज़ख्म हैं दिल पर , जहाँ चाहो छिड़क डालो
हज़ारों ज़ख्म हैं दिल पर , जहाँ चाहो छिड़क डालो
तुझे मैंने हक़ दिया है दिल्लगी का
तू मेरे दिल से खेल जब तक मेरा दिल ना बहल जाये
तू मेरे दिल से खेल जब तक मेरा दिल ना बहल जाये
तेरा दिया हर ग़म हर दर्द गवाँरा है मुझको
बस एक बार कह दो , तुमने मुझे अपना मान लिया है
बस एक बार कह दो , तुमने मुझे अपना मान लिया है
तेरी चाहत के चिरागों में यही खास बात है
मद्धम तो हो जाते हैं पर बुझते नहीं हैं
मद्धम तो हो जाते हैं पर बुझते नहीं हैं
उल्टी चाल चलते हैं तेरे चाहने वाले
आँख बन्द करते हैं तेरे दीदार के लिए
आँख बन्द करते हैं तेरे दीदार के लिए
कैसा सितम है ये आपका जो रोने भी नहीं देते
करीब खुद आते नहीं और जूदा होने भी नहीं देते
करीब खुद आते नहीं और जूदा होने भी नहीं देते
जरा एक बात बताओ हमको
दिल दुःखाने को क्या तुम्हे सिर्फ हम ही मिले
दिल दुःखाने को क्या तुम्हे सिर्फ हम ही मिले
दो पल की थी जिन्दगी मेरी जो तेरे नाम कर दी
एक पल तुझे चाहने में और एक पल तेरे इन्तजार में
एक पल तुझे चाहने में और एक पल तेरे इन्तजार में
तुझे याद कर लूँ तो आ जाता है सुकून दिल को
मेरे गमों का इलाज़ भी कितना सस्ता है
मेरे गमों का इलाज़ भी कितना सस्ता है
ख्वाईश नहीं मुझे मशहुर होने की
तुम मुझे पहचान लो , बस इतना ही काफी है
तुम मुझे पहचान लो , बस इतना ही काफी है
एक बार हँस कर जो तुम मेरे हो जाओ .......रात कुछ यूँ बीते कि सवेरा हो जाये
मेरी जिन्दगी की किताब का हर पन्ना-पन्ना यूँ सज़ा हुआ
सर-ए-इबत्दा , सर-ए-इन्तेहा , तेरा नाम दिल पर लिखा हुआ
सर-ए-इबत्दा , सर-ए-इन्तेहा , तेरा नाम दिल पर लिखा हुआ
बस तुम से शुरू और तुम पर खत्म .......मेरा गुस्सा भी और मेरा प्यार भी
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