शब्दों में ही खोजूँगा और पाऊँगा तुम्हें
वर्ण-वर्ण जोड़कर गढूँगा ,
बिल्कुल तुम्हारे जितना ही सुन्दर एक शब्द
और आत्मा की संपूर्ण शक्ति भर , फूँक दूँगा निश्छल प्राण
जीवंत कर तुम्हें , कवि हो जाऊँगा ,
ईश्वर हो जाऊँगा........
वर्ण-वर्ण जोड़कर गढूँगा ,
बिल्कुल तुम्हारे जितना ही सुन्दर एक शब्द
और आत्मा की संपूर्ण शक्ति भर , फूँक दूँगा निश्छल प्राण
जीवंत कर तुम्हें , कवि हो जाऊँगा ,
ईश्वर हो जाऊँगा........
तुम्हारा प्यार बुरे दिनों में आई राहत की चिट्ठियाँ हैं
तुम्हारा प्यार बसंत की गुनगुनी भोर में ,
किसी पेड़ की ओट से उठती कोयल की बेतरह कूक है
तुम्हारा प्यार लहलहाती गर्मी में ,
एक गुड़ की डली के साथ एक ग्लास पानी है !!!
तुम्हारा प्यार बसंत की गुनगुनी भोर में ,
किसी पेड़ की ओट से उठती कोयल की बेतरह कूक है
तुम्हारा प्यार लहलहाती गर्मी में ,
एक गुड़ की डली के साथ एक ग्लास पानी है !!!
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