चाहे बाँचो, चाहे पकड़ो, चाहे भीगो ,
एक आवाज़ है बस दिल से सुनी जाती है
कभी पन्ना, कभी खुशबू, कभी बादल ,
"ज़िंदगी" वक्त-सी टुकड़ों में उड़ी जाती है
कभी अहसास-सी बहती है नसों में हो कर ,
कभी उत्साह-सी उड़ती है हर एक चेहरे पर ,
कभी बिल्ली की तरह दुबकती है गोदी में ,
कभी तितली की तरह हर ओर उड़ा करती है ,
चाहे गा लो, चाहे रंग लो, चाहे बालो
हर एक साँस में अनुरोध किए जाती है
कभी कविता, कभी चित्रक, कभी दीपक ,
आस की शक्ल में सपनों को सिये जाती है ,
कभी खिलती है फूलों की तरह क्यारी में ,
कभी पत्तों की तरह यों ही झरा करती है ,
कभी पत्थर की तरह लगती है एक ठोकर-सी,
कभी साये की तरह साथ चला करती है ,
कभी सूरज, कभी बारिश, कभी सर्दी ,
आसमानों में कई रंग भरा करती है ,
कभी ये फूल, कभी पत्ता, कभी पत्थर !
हर किसी रूप में अपनी-सी लगा करती है !!
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