21 June 2014

कब सुनोगे पुकार

पुकारती रही कोयल, तुम नहीं आए
उफनती रही नदिया, तुम नहीं आए
धीर-मौन रहा आकाश, तुम नहीं आए
चमकता रहा चाँद,
जलता रहा सूरज, तुम नहीं आए
रोते रहे बादल, तुम नहीं आए
रोज बाट जोहते रहे, तुम नहीं आए
तुम, जो द्रौपदी की एक पुकार पर दौड़े चले आए
कब सुनोगे पुकार
किसी एक की,
या
इन सबकी


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