तुम्हारी आँख की कोर में जो सिमटे हुए आँसू हैं उन्हें बह जाने दो ।
तुम्हारा अहं विगलित हो जाएगा झूठ की धूल धुल जाएगी
दमकता सच उग आएगा तुम्हारे चेहरे पर ।
दमकता सच उग आएगा तुम्हारे चेहरे पर ।
हर उस आँख में आँसू होते हैं जिनमें कभी सपने अँकुराते हैं।
मैंने ज़िन्दगी को जिस आँख से देखा है
उसमें दर्द के अलावा बेपनाह मुहब्बत के फूल भी हैं ।
मैंने ज़िन्दगी को जिस आँख से देखा है
उसमें दर्द के अलावा बेपनाह मुहब्बत के फूल भी हैं ।
कैसा ऐय्य्आर है प्यार जो एक आँख में दर्द बन कर टीसता है
दूसरी को मुहब्बत की फुलझड़ियों से चुँधियाता है!
दूसरी को मुहब्बत की फुलझड़ियों से चुँधियाता है!
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