24 June 2014

है जहाँ मधुवन वहीं पर रास है..

चल हवा, उस ओर मेरे साथ चल
चल जहाँ मेरा अमर विश्वास है आत्माओं में मिलन की प्यास है
आज तक का तो यही इतिहास है, है जहाँ मधुवन वहीं पर रास है
मिल गया जिसको कि कान्हा का पता, कौन राधा है जरा तू ही बता
जो कन्हैया से करेगी प्रीति छल
चल हवा, उस ओर मेरे साथ चल।

मत फँसा सुख चक्र दुख की कील में, मत उठा तूफान दुख की झील में
हो सके तो रख नये जलते दिये, आस के बुझते हुए कंदील में
तू हवा है कर सुरभि का आचमन, छोड़कर अपने पुराने ये बसन
तू नए अहसास के कपड़े बदल
चल हवा, उस ओर मेरे साथ चल।

चल जहाँ तक बाँसुरी की धुन चले, फूल की खुशबू चले, गुनगुन चले
भीग जा तू प्रीति के हर रंग में साथ जब तक प्राण का फागुन चले
पूछ मत अब जा रहा हूँ मैं कहाँ
चल प्रतीक्षा में खड़े होंगे जहाँ
एक नीली झील, दो नीले कमल
चल हवा, उस ओर मेरे साथ चल।
चल हवा, उस ओर मेरे साथ चल, चल वहाँ तक जिस जगह मेरी प्रिया
गा रही होगी नई ताजा गजल, चल हवा, उस ओर मेरे साथ चल।
सुना है , डाली से जूदा होकर , पत्त्तियाँ कहीं की नहीं रहती 
तुम मुझको , अपने से जरा सोच कर जूदा करना

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