24 June 2014

थक गया मैं करते-करते याद तुझको..


अपने होंठों पर सजाना चाहता हूँ, आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ
कोई आँसू तेरे दामन पर गिराकर, बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ

थक गया मैं करते-करते याद तुझको, अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ
छा रहा है सारी बस्ती में अँधेरा, रोशनी हो, घर जलाना चाहता हूँ

आख़री हिचकी तेरे जाने पे आये, मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ
कमाल की फनकारी है तुझमें वार भी दिल पर , राज़ भी दिल पर 
ना रईश हुँ , ना अमीर हुँ , ना बादशाह , ना वज़ीर हुँ
तेरा इश्क है मेरी सल्तनत , उसी सल्तनत का मैं फकीर हुँ


No comments:

Post a Comment