24 June 2014

कितनी बातें कितनी यादें..मन करता

झर जाते हैं शब्द हृदय में पंखुरियों-से
उन्हें समेटूँ, तुमको दे दूँ मन करता है 

गहरे नीले , नर्म गुलाबी , पीले , सुर्ख लाल ,
कितने ही रंग हृदय में झलक रहे हैं ,
उन्हें सजाकर तुम्हें दिखाऊँ मन करता है 

खुशबू की लहरें उठती हैं जल तरंग-सी
बजती है रागिनी हृदय में
उसे सुनूँ मैं साथ तुम्हारे मन करता है 

कितनी बातें कितनी यादें भाव-भरी होंठों तक आतीं
झर जाते हैं शब्द हृदय में पंखुरियों-से
उन्हें समेटूँ, तुमको देदूँ मन करता है !


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