29 March 2014

वह न मिल सके मुझको

देखे जिसे कोई हसरतों से ऐसा तो नहीं हूँ मैं
जिसकी अक़ीदत हो जहाँ में वो ख़ुदा तो नहीं हूँ मैं

माना यकता हूँ मेरे जैसा कोई दूसरा नहीं
सच है फिर भी हर मायने में पहला तो नहीं हूँ मैं

मैं जी रहा हूँ अब तलक बिन तुम्हारे तन्हा-तन्हा
जो असरकार हो जायेगी वह सदा तो नहीं हूँ मैं

न लड़ मुझसे मेरे रक़ीब तुझसे मेरी इल्तिजा है
जो आते-आते रह जाये वह क़ज़ा तो नहीं हूँ मैं

यक़ीनन वह बेहद ख़ूबसूरत है माह-रू है
वह न मिल सके मुझको इतना भी बुरा तो नहीं हूँ मैं

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