लाओ तुम्हारा हाथ !
मैं अपने हाथ में लेकर , पूरी पृथ्वी की गर्माहट को तौलूँ !!
सोचता हूँ , तुम्हारे हाथ की मेंहदी की खु़शबू लेकर ,
दुनिया के तमाम फूलों में से , होकर गुज़र जाऊँ !!!
तुम्हारे साथ को महसूस करते हुए, सब निराशाओं के बोझ को ,
जाकर फेंक आऊँ , हिमालय के पार !!!!
मुझे थामे रहो , मैं अभी तुम्हारे भीतर हूँ ,
यहाँ से निकलकर ,बाहर ,शोर से भरी एक यात्रा की ओर ,जाना है मुझे !!
मैं अपने हाथ में लेकर , पूरी पृथ्वी की गर्माहट को तौलूँ !!
सोचता हूँ , तुम्हारे हाथ की मेंहदी की खु़शबू लेकर ,
दुनिया के तमाम फूलों में से , होकर गुज़र जाऊँ !!!
तुम्हारे साथ को महसूस करते हुए, सब निराशाओं के बोझ को ,
जाकर फेंक आऊँ , हिमालय के पार !!!!
मुझे थामे रहो , मैं अभी तुम्हारे भीतर हूँ ,
यहाँ से निकलकर ,बाहर ,शोर से भरी एक यात्रा की ओर ,जाना है मुझे !!
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