29 March 2014

लाओ तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में...

लाओ तुम्हारा हाथ ! 
मैं अपने हाथ में लेकर , पूरी पृथ्वी की गर्माहट को तौलूँ !!

सोचता हूँ , तुम्हारे हाथ की मेंहदी की खु़शबू लेकर , 
दुनिया के तमाम फूलों में से , होकर गुज़र जाऊँ !!!

तुम्हारे साथ को महसूस करते हुए, सब निराशाओं के बोझ को , 
जाकर फेंक आऊँ , हिमालय के पार !!!!

मुझे थामे रहो , मैं अभी तुम्हारे भीतर हूँ , 
यहाँ से निकलकर ,बाहर ,शोर से भरी एक यात्रा की ओर ,जाना है मुझे !!

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