उन आँखों का पत्थर चुन लो,जिन आँखों मे अश्क नहीं है !
उन दिलों को तराशा जाये, जिन दिलों मे इश्क नहीं है !!
उन बातों को दोहराया जाये, जिन बातों मे जख्म नहीं है !
ऐसा कोई वीर भी ढूंढो , जिसके फ़तह पर जश्न नहीं है !!
उन अरमानो को जलने दो, जिनका कोई औचित्य नहीं है !
उन लोंगों का अंधेरा भींच लो, दीप जिनके सामीप्य नहीं है !!
उन हादसों को भूल जाओ ,जिनसे कोई दुखी नहीं है !
ऐसा कोई *दीप* भी ढूंढिये जिसको जलने पे खुशी नहीं है !!
उन दिलों को तराशा जाये, जिन दिलों मे इश्क नहीं है !!
उन बातों को दोहराया जाये, जिन बातों मे जख्म नहीं है !
ऐसा कोई वीर भी ढूंढो , जिसके फ़तह पर जश्न नहीं है !!
उन अरमानो को जलने दो, जिनका कोई औचित्य नहीं है !
उन लोंगों का अंधेरा भींच लो, दीप जिनके सामीप्य नहीं है !!
उन हादसों को भूल जाओ ,जिनसे कोई दुखी नहीं है !
ऐसा कोई *दीप* भी ढूंढिये जिसको जलने पे खुशी नहीं है !!
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